रांची में सोमवार से झारखंड प्रदेश टैक्सी और ऐप बेस्ड वर्कर्स यूनियन ने ओला, उबर और रैपिडो के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल के पहले दिन ही राजधानी के प्रमुख इलाकों जैसे मेन रोड, कांटाटोली, लालपुर, हरमू, रातू रोड और कोकर में ऐप के जरिए टैक्सी बुक करना मुश्किल हो गया। शहर में उपलब्ध ऐप टैक्सी लगभग नदारद रहीं और यात्रियों को मजबूरन ऑटो, ई-रिक्शा और रेंटल टैक्सी का सहारा लेना पड़ा। कुछ जगहों पर किराया सामान्य दर से तीन गुना तक अधिक दिखा, जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
ड्राइवरों की मांगें और वजह
हड़ताल का नेतृत्व कर रहे यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि यह कदम ड्राइवरों के हित में उठाया गया है। उनका कहना है कि कंपनियां लगातार किराया घटा रही हैं, जबकि ईंधन, मेंटेनेंस और टैक्स का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यूनियन का मानना है कि ऐसे हालात में ड्राइवरों की आमदनी पर गंभीर असर पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार और कंपनी प्रबंधन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी स्तर पर और तेज हो सकता है।
मुख्य मांगें और सुधार की जरूरत
यूनियन ने अपनी मुख्य मांगों में कहा कि किराए में बढ़ोतरी होनी चाहिए ताकि ड्राइवरों की आय में सुधार आए। साथ ही, रिचार्ज सिस्टम को खत्म किया जाए जिससे ड्राइवरों पर अनावश्यक वित्तीय दबाव न पड़े। यूनियन ने यह भी कहा कि एक बुकिंग केवल एक ही पार्टनर को मिले, ताकि अनुचित प्रतिस्पर्धा खत्म हो और ड्राइवरों की मेहनत का पूरा लाभ उन्हें मिले। इसके अलावा बाइक टैक्सी (रैपिडो) पर पूर्ण प्रतिबंध और प्राइवेट कारों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने की मांग भी शामिल है।
भविष्य और यात्रियों के लिए असर
इस हड़ताल का असर न सिर्फ ड्राइवरों बल्कि शहर के आम यात्रियों पर भी पड़ा है। लोग अब ऑटो, ई-रिक्शा और रेंटल टैक्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यह विकल्प महंगा और असुविधाजनक है। यदि कंपनियां और सरकार जल्दी समाधान नहीं निकालती हैं, तो हड़ताल और लंबी खिंच सकती है। ड्राइवरों के लिए यह आंदोलन जरूरी है ताकि उनकी आमदनी और कामकाज सुरक्षित रहे। वहीं, यात्रियों के लिए भी यह जरूरी है कि उन्हें भरोसेमंद और सस्ती सेवा मिले। इस हड़ताल ने साफ कर दिया है कि शहर में ऐप बेस्ड टैक्सी सेवा पर ड्राइवरों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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