मारुति सुजुकी की ऑल न्यू विक्टोरिस SUV भारतीय बाजार में धमाल मचा रही है। लॉन्च के बाद से ही इस कार की जबरदस्त डिमांड देखने को मिल रही है। कंपनी की यह सफलता सिर्फ इसके डिजाइन या ब्रांड नाम की वजह से नहीं, बल्कि इसकी स्मार्ट इंजीनियरिंग और ईंधन के बेहतर विकल्पों के कारण भी है। विक्टोरिस में CNG सिलेंडर को नीचे की तरफ शिफ्ट करके बूट स्पेस को बरकरार रखा गया है, जिससे यह कार परिवारों के लिए और भी प्रैक्टिकल बन गई है। अब कंपनी इस SUV का नया कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) वैरिएंट पेश करने की तैयारी में है, जिसे 30 अक्टूबर से 9 नवंबर 2025 तक चलने वाले जापान मोबिलिटी शो में दिखाया जाएगा। खास बात यह है कि इसमें भी वही डुअल-सिलेंडर अंडरबॉडी टैंक कॉन्फिगरेशन मिलेगा जो CNG मॉडल में दिया गया है, यानी बूट स्पेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
CBG क्या है और यह CNG से कैसे अलग है
CBG यानी कम्प्रेस्ड बायोगैस और CNG दोनों दिखने में भले ही एक जैसे लगें, लेकिन इनका सोर्स बिल्कुल अलग है। CNG पेट्रोलियम के भंडारों से आती है, जबकि CBG पूरी तरह जैविक कचरे से बनती है। इसमें कृषि अवशेष, पशुओं का गोबर, और घर-शहरों से निकलने वाला ऑर्गेनिक कचरा शामिल होता है। इसे प्रोसेस करके गैस में बदला जाता है, जिससे यह एक नवीकरणीय और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन बन जाता है। इसे “गोबर से गाड़ी” चलाने की तकनीक भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह ईंधन बार-बार रिन्यू किया जा सकता है और प्रदूषण भी कम करता है। भारत जैसे देश में, जहां कृषि और डेयरी अपशिष्ट की भरमार है, वहां CBG का बड़ा भविष्य है। यही कारण है कि मारुति सुजुकी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। फिलहाल भारत में कोई भी पैसेंजर व्हीकल CBG पावरट्रेन के साथ नहीं आता, इसलिए विक्टोरिस का यह वर्जन देश का पहला CBG मॉडल बन सकता है।
मारुति सुजुकी पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में 450 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। कंपनी मानेसर प्लांट में अपना खुद का बायोगैस प्लांट भी बना रही है, जो 2024 से चालू होगा। इस कदम से कंपनी का उद्देश्य सिर्फ कारें बनाना नहीं बल्कि एक ग्रीन फ्यूल इकोसिस्टम तैयार करना है, जो आने वाले समय में भारत को जीवाश्म ईंधन से काफी हद तक मुक्त कर सकता है।
इंजन, माइलेज और परफॉर्मेंस में क्या होगा खास
विक्टोरिस CBG में वही 1.5 लीटर 4-सिलेंडर K15 नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन मिलेगा, जो फिलहाल CNG वर्जन में इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि CBG के स्वच्छ दहन को सुनिश्चित करने के लिए इंजन में कुछ जरूरी मैकेनिकल बदलाव किए जाएंगे। क्योंकि CNG और CBG दोनों में मीथेन गैस होती है, इसलिए इनके बीच तकनीकी फर्क बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन बायोगैस के बेहतर दहन के लिए इंजन ट्यूनिंग में बदलाव जरूरी होता है।
कंपनी के अनुसार, मैनुअल ट्रांसमिशन वाले मॉडल में 21.18 किमी/लीटर और ऑटोमैटिक वर्जन में 21.06 किमी/लीटर का माइलेज मिलेगा। वहीं इसका ऑल-व्हील-ड्राइव वेरिएंट 19.07 किमी/लीटर का औसत देगा। स्ट्रॉन्ग-हाइब्रिड वर्जन में टोयोटा से लिया गया 1.5 लीटर पेट्रोल-इलेक्ट्रिक सेटअप दिया गया है, जो 116 हॉर्सपावर और 141 एनएम टॉर्क जनरेट करता है। इसका दावा किया गया माइलेज 28.56 किमी/लीटर तक है। इसके अलावा s-CNG वर्जन 89 हॉर्सपावर देता है और 27.02 किमी/किग्रा माइलेज का दावा करता है। CBG वर्जन भी लगभग इसी रेंज में रहेगा, लेकिन इसका फायदा यह होगा कि ईंधन की लागत और प्रदूषण दोनों कम होंगे।
विक्टोरिस की कीमत फिलहाल 10.50 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है, और CBG वर्जन के आने के बाद इसकी शुरुआती कीमत में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है। फिर भी यह SUV अपने सेगमेंट में सबसे किफायती और फीचर-रिच मॉडल्स में गिनी जाएगी।
भारत में बायोगैस कारों का भविष्य
भारत सरकार भी बायोगैस जैसे नवीकरणीय ईंधनों को बढ़ावा दे रही है। गांवों और शहरों में वेस्ट से एनर्जी प्रोजेक्ट्स को बढ़ाने पर काम चल रहा है। ऐसे में अगर मारुति सुजुकी जैसी बड़ी कंपनी इस दिशा में कदम उठा रही है, तो यह आने वाले वर्षों में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। अगर विक्टोरिस का CBG वैरिएंट सफल होता है, तो बाकी कार कंपनियां भी इसी रास्ते पर चल सकती हैं। इससे न सिर्फ देश की आयातित ईंधन पर निर्भरता घटेगी, बल्कि किसानों और ग्रामीण इलाकों को भी आर्थिक फायदा मिलेगा, क्योंकि कचरे और गोबर से बनने वाली बायोगैस की डिमांड बढ़ेगी।
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