दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला: अब बाहर के पुराने डीजल ट्रक और गाड़ियां नहीं घुस पाएंगी दिल्ली में, जानिए पूरी डिटेल

On: October 28, 2025
दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला: अब बाहर के पुराने डीजल ट्रक और गाड़ियां नहीं घुस पाएंगी दिल्ली में, जानिए पूरी डिटेल

हर साल जैसे ही अक्टूबर आता है, दिल्ली की हवा में ज़हर घुलने लगता है। आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, और आसमान में धुंध — ये नज़ारा दिल्ली वालों के लिए नया नहीं है। ठंड शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने अब एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के बाद दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि 1 नवंबर 2025 से दिल्ली में बाहर के BS-VI मानक से नीचे वाले डीजल कॉमर्शियल गुड्स व्हीकल्स को आने की अनुमति नहीं होगी। यानी अब पुराने ट्रक और गाड़ियां जो ज्यादा धुआं छोड़ती हैं, वो राजधानी में नहीं घुस पाएंगी।

नया नियम क्या कहता है और किसे मिलेगी एंट्री

दिल्ली परिवहन विभाग ने साफ कहा है कि अब सिर्फ BS-VI नॉर्म्स वाले कॉमर्शियल मालवाहक वाहन ही दिल्ली में आ पाएंगे। BS-VI सबसे सख्त उत्सर्जन मानक हैं, जिनसे निकलने वाला प्रदूषण काफी कम होता है। इस नियम का मतलब है कि BS-IV या उससे पुराने डीजल वाहन अब दिल्ली की सीमाओं पर रुक जाएंगे। हालांकि, सरकार ने BS-IV डीजल वाहनों को थोड़ी राहत दी है। बाहर के राज्यों में रजिस्टर्ड BS-IV वाहन 31 अक्टूबर 2026 तक दिल्ली में चल सकेंगे। ये एक तरह की ट्रांज़िशनल छूट है ताकि ट्रांसपोर्टर्स को अपने पुराने वाहनों को अपग्रेड करने के लिए थोड़ा समय मिल सके। 2026 के बाद दिल्ली में सिर्फ BS-VI या उससे ऊपर वाले वाहन ही चल पाएंगे।

किन वाहनों को छूट दी गई है

दिल्ली सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि कुछ वाहनों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। जैसे दिल्ली में पंजीकृत कॉमर्शियल गुड्स व्हीकल्स इस नियम से बाहर हैं। इसके अलावा BS-VI डीजल वाहन, CNG, LNG और इलेक्ट्रिक वाहनों को भी छूट दी गई है क्योंकि ये गाड़ियां ग्रीन एनर्जी पर चलती हैं और प्रदूषण बहुत कम करती हैं। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत जो प्रतिबंध पहले से लागू हैं, वो भी जारी रहेंगे। अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो GRAP के अलग-अलग स्टेज के हिसाब से और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

ये फैसला क्यों इतना अहम है

दिल्ली हर साल सर्दियों में एक गैस चैंबर बन जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है पुराने वाहन, पराली जलाना और मौसम की स्थिति। जब हवा ठंडी होती है तो प्रदूषण ज़मीन के पास ही रह जाता है और स्मॉग बन जाता है। ऐसे में लोगों को सांस लेने तक में तकलीफ होती है। CAQM और दिल्ली सरकार का मानना है कि अगर पुराने डीजल ट्रकों और गाड़ियों को दिल्ली में आने से रोका जाए तो प्रदूषण में बड़ा फर्क पड़ेगा। दिल्ली में आने वाला लगभग 30% प्रदूषण बाहर से आने वाले वाहनों की वजह से होता है। इसलिए यह फैसला एक तरह से ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है। इसके अलावा यह कदम दिल्ली को इलेक्ट्रिक और क्लीन फ्यूल व्हीकल्स की ओर बढ़ाने में मदद करेगा। सरकार चाहती है कि आने वाले समय में दिल्ली पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर शिफ्ट हो जाए।

Conclusion

दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए सरकार ने जो कदम उठाया है, वो जरूरी और समय की मांग दोनों है। बाहर के पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर बैन लगाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है। हालांकि, असली असर तभी दिखेगा जब इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा और हर वाहन की जांच ईमानदारी से होगी। अगर सरकार, ट्रांसपोर्टर और जनता — तीनों साथ आएं, तो दिल्ली फिर से साफ नीला आसमान देख सकती है।

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