महाराष्ट्र में अब ऐप-आधारित टैक्सी, रिक्शा और ई-बाइक सेवाओं के लिए बड़ी नीति आने वाली है। अगले दो दिनों में सरकार इसकी घोषणा करने जा रही है। यह पॉलिसी खास तौर पर उन समस्याओं को हल करने के लिए बनाई जा रही है जो लंबे समय से ड्राइवरों और यात्रियों दोनों को परेशान कर रही थीं। परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा है कि अब इन सेवाओं में काम करने वाले लोगों का आर्थिक शोषण नहीं होने दिया जाएगा। नई नीति से यह तय किया जाएगा कि कोई भी कंपनी सिर्फ मुनाफे के लिए चालकों या यात्रियों के साथ नाइंसाफी न करे।
ड्राइवरों और यात्रियों की शिकायतों का समाधान
पिछले कुछ समय से ऐप-आधारित टैक्सी, रिक्शा और ई-बाइक टैक्सी कंपनियों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। कई ड्राइवरों ने बताया कि कंपनियां किराए का बड़ा हिस्सा अपने पास रखती हैं, जबकि यात्रियों को कभी-कभी ओवरचार्ज किया जाता है। परिवहन मंत्री ने माना कि यह सिस्टम पारदर्शी नहीं है और इसमें सुधार की जरूरत है। इसी वजह से सरकार ने अब ऐसी नीति बनाने का फैसला किया है जो कंपनियों को एक नियम के दायरे में लाएगी। इस नीति के लागू होने के बाद कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ड्राइवरों को उनकी मेहनत का उचित हिस्सा मिले और यात्रियों को भी सही किराए पर सेवा मिले।
नई नीति में होंगे बड़े बदलाव
सरकार की नई पॉलिसी के तहत कुछ अहम सुधार किए जाएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि अब ड्राइवरों की कमाई का 80 प्रतिशत हिस्सा उन्हें ही मिलेगा, जबकि बाकी हिस्सा कंपनी रखेगी। इससे ड्राइवरों की आमदनी बढ़ेगी और उनका आर्थिक बोझ कम होगा। इसके अलावा, सरकार उचित किराया तय करने के नियम भी बनाएगी ताकि कोई कंपनी मनमाने दाम न वसूल सके। इस नीति का उद्देश्य है ड्राइवरों और यात्रियों दोनों को एक सुरक्षित और भरोसेमंद सेवा प्रदान करना। साथ ही, इन कंपनियों की निगरानी भी की जाएगी ताकि नियमों का सही पालन हो। इससे ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं में पारदर्शिता और भरोसा बढ़ेगा।
बेरोजगार युवाओं के लिए नए अवसर
नई नीति का एक और बड़ा फायदा यह होगा कि इससे महाराष्ट्र के युवाओं के लिए नए रोजगार के मौके बनेंगे। सरकार का इरादा है कि टैक्सी, रिक्शा और ई-बाइक टैक्सी जैसी सेवाओं को एक ही ढांचे के अंतर्गत लाकर उन्हें एक संगठित व्यवसाय के रूप में विकसित किया जाए। इससे बेरोजगार युवाओं को काम मिलेगा और वे खुद का वाहन लेकर इन सेवाओं में शामिल हो सकेंगे। इस पॉलिसी के ज़रिए सरकार न सिर्फ ऐप-आधारित सेवाओं को रेगुलेट करेगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और रोज़गार दोनों को बढ़ावा देगी।
ड्राइवर और यात्री दोनों के लिए राहत
महाराष्ट्र सरकार की यह नई नीति आने वाले दिनों में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है। इससे ड्राइवरों को उनकी मेहनत का सही हक मिलेगा और यात्रियों को भरोसेमंद व सस्ती सेवाएं मिलेंगी। अब ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियों को सरकार के नियमों के तहत काम करना होगा जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और शोषण पर रोक लगेगी। कुल मिलाकर, यह कदम राज्य में ट्रांसपोर्ट सेक्टर को संगठित करने और आम जनता को बेहतर सुविधा देने की दिशा में एक मजबूत पहल साबित होगा।
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